अच्छा तो हम चलते हैं

उफ़ ये हवा की सरसराहट,
हवा में धूल की मिलावट,
नज़र बिल्कुल वैसी ही धुंधली,
जैसे पेपरों में questions की आहट,
बस चंद लम्हें बचे हैं और,
खत्म होने को है ये Niteouts का दौर,
हम सब इस जगह से दूर चले जायेंगे,
कुछ घर, कुछ PS, कुछ jobs पर जायेंगे,
चाहे कितना भी कोसें अभी इस जगह को,
पर 10 दिन बाद वही दोस्त, वही लू, वही
लाइट रायाद आयेंगे,
जी लो जी भर के इन लम्हों को आज, अभी,
इसी वक्त,
किसको, क्या ख़बर है कल की,
कौन, कहाँ, क्यों, कहीं
रोते हुए पाये जायेंगे ..
रोते हुए पाये जायेंगे ..
अलविदा तो कहना नहीं चाहता पर ज़िंदगी में आनाजाना यूं ही चलता रहता है और यह भी उसी ज़िंदगी का एक हिस्सा है..
वैसे तो मैं छुट्टियों में भी ब्लॉग करने की पूरीपूरी कोशिश करूँगा पर आप अपनी टिप्पणियों से हमें अवगत कराते रहेंसलाम, आदाब, शुभकामनायें..

13 मई 2008

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