यह कविता २६/११ के नाम.. केवल लिखने के लिए नहीं..
कुछ करने के लिए भी..
आप भी आज ही से सिर्फ अपने बारे में ही न सोचकर उन लोगों के बारे में भी सोचिये जिनके पास आपकी सोच तक भी पहुँचने के सही मार्ग नहीं है…
साक्षरता देश और दुनिया दोनों का उद्धार कर सकता है…
अपनी माँ का क़र्ज़ अदा किया है,
अरे यह शोक मनाने का दिन नहीं है,
जिस दिन वीरों का जलसा निकला है।एक माचिस का डब्बा बन चुका था दिल,
उन नामुरादों ने चिंगारी भेंट में दिया है,
अरे यह शोक मनाने का दिन नहीं है,
जिस दिन वीरों का जलसा निकला है।
सफ़ेद कुरता पहन के निकले हो,
किसी के कफ़न का हिस्सा लग रहा है,
अरे यह शोक मनाने का दिन नहीं है,
जिस दिन वीरों का जलसा निकला है।
मोमबत्तियां जला कर, कर रहे हो क्या रोशन?
यहाँ हर एक दिल जला पड़ा है,
अरे यह शोक मनाने का दिन नहीं है,
जिस दिन वीरों का जलसा निकला है।
लिख रहे हो बढ़-चढ़ करके लेख इस दिन पर,
क्या लिखने से भी आतंकवाद मरा है?
अरे यह शोक मनाने का दिन नहीं है,
जिस दिन वीरों का जलसा निकला है।
दो मिनट मौन धारण की है सबने,
वो आतंकवादी जेल में सोये हुए आप पर हंस रहा है,
अरे यह शोक मनाने का दिन नहीं है,
जिस दिन वीरों का जलसा निकला है।
भगत सिंह हर किसी की मांग है,
क्या पड़ोस में कोई ऐसा नहीं जन्मा है?
अरे यह शोक मनाने का दिन नहीं है,
जिस दिन वीरों का जलसा निकला है।
शर्म से डूब मरने का कर रहा है दिल,
२२ सालों में देश के लिए कुछ नहीं किया है,
अरे यह शोक मनाने का दिन नहीं है,
जिस दिन वीरों का जलसा निकला है।
आज से कुछ करूंगा अपनी माँ के लिए,
ऐसा मैंने भी प्रण लिया है,
अरे यह शोक मनाने का दिन नहीं है,
जिस दिन वीरों का जलसा निकला है।
आप भी कुछ करेंगे इस धरती के लिए,
बस मेरी दिल से यही दुआ है,
अरे यह शोक मनाने का दिन नहीं है,
जिस दिन वीरों का जलसा निकला है।
जिस दिन वीरों का जलसा निकला है।
एक ख़ास गीत इस पोस्ट के नाम : चंदा सूरज लाखों तारे (गुरुज़ ऑफ़ पीस) [ए.आर.रहमान/नुसरत फ़तेह अली खान]
आदाब.. सायोनारा..
जय हिंद !!
shaheed veeron ko shraddha suman….
LikeLike
आप भी कुछ करेंगे इस धरती के लिए,
बस मेरी दिल से यही दुआ है…
अरे यह शोक मनाने का दिन नहीं है…
जिस दिन वीरों का जलसा निकला है…
-सलाम शहीदों को!!!
LikeLike
सटीक।शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं।
LikeLike