कैम्पस पर वापस आ कर घर जैसा लग रहा है.. जहाँ किसी बात की कोई चिंता नहीं है.. जब मन करे सो जाओ.. और जब मन करे, उठो..खाना खाया? कोई पूछने वाला नहीं.. नहाया? कोई पूछने वाला नहीं.. और ना ही पूछने वाली 🙂
यहाँ से दूर रहकर ज़िन्दगी कैसी होती है.. इसका अंदाज़ा तो हो ही गया है..बहुत मुश्किल है पर वहीँ जाना है चंद दिनों बाद.. पर कल की किसे चिंता है.. हमारा उसूल है.. आज को जियो… कल की नैया तो राम भरोसे..
नौकरी.. एक ऐसा शब्द जो भारत के सौ करोड़ से भी ज्यादा आबादी वाले देश में आज भी एक मज़ाक सा है..
ग्रैजुएट सब्जी बेच रहा है और पांचवी फेल देश… असमंजस कर देने वाली सच बात..
कुछ वही हाल यहाँ के हर इंजिनियर के हाल चाल हैं.. पिछले ४ साल में जो पढ़ा उसको डालो कचरे के डब्बे में डालो.. अगर कंप्यूटर पे प्रोग्रामिंग आती है तो चयन होता है नहीं तो.. छोड़िये.. वैसे शब्द का इस्तेमाल करना ही बेकार है..
आज बैठे-बैठे सोच रहा हूँ कि अगर नौकरी केवल प्रोग्रामिंग से ही लगती है तो दूसरी जगह फ़ालतू ही मेहनत की (जितनी भी की हो :P)..
पर किस्मत में जो लिखा है वो मिलेगा.. रोना सिखा नहीं है और ना ही किसी को यह हिदायत दूंगा..
बचपन में कहते थे – क्या लड़कियों की तरह रो रहा है?
आज भी कहूँगा – क्या पराजितों की तरह रो रहा है?
तो जनाब आपकी शुभकामनाओं की ज़रूरत है कि जल्द ही हम भी नौकरी वाले बाबू हो जाएं.. ब्लॉग पर भी कुछ डालने के लिए समय मिलेगा और आप सभी से रूबरू हो पाऊंगा..
तब तक कार के लिए मेहनत कर रहा इस बेकार इंजिनियर के लिए दुआ करते रहिये..
आदाम.. सायोनारा..
अपना मॉरल हमेशा हाई रखना…. जीतने का दम ही जीतता है…. खुद को बेस्ट मानना ही जीत दिलाता है…. जीतने कि आदत डाल लेनी चाहिए…शुरू से ही…. कामयाबी खुद पीछे आएगी… रोते तो वाकई में पराजित ही हैं…. जीतता तो वही है…जो हार को तब तक हार नहीं मानता है ….जब तक के जीत ना जाए…. जो लोग डिमौरालाईज़ करें….उनसे दूर रहना ही ठीक रहता है…. किस्मत तो अपने हाथ में ही है…
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सब बढ़िया होगा..अनन्त शुभकामनाएँ.
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आप में जज्बा है जीतने का , और आप जीतेंगे ही ,बस खुद में विश्वास बनाए रखें और हां पार्टी ड्यू रही आपके उपर नौकरी मिलते ही ठीक न
अजय कुमार झा
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are bhai, acchha likhe ho…
naukari to lagegihi bhai…
My approach is: programming me interest nahi to bhad me jaye programming ki job..
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असफल होने पर प्रक्रिया या चयनकर्ताओं में ग़लती ढूंढने के बजाय खुद में झांकना. अगली बार सुधार लेना. अगर प्रोग्रामिंग इतनी ज़रूरी है तो वह भी सीख लेने में हेठी न समझो भाई. साक्षात्कारों में खुशमिजाज लोग आराम से पास हो जाते हैं, नकली मुस्कुराने वाले लोगों को बहुत मुश्किलें पेश आती हैं.
बाकी सब ठीक होगा.
और हां, आखिरी बात, कोई इंटरव्यू लेने वाला तीसमरखां बहुत खूंखार लगे तो imagine करना कि वह कपड़ों के भीतर नंगा बैठा है और तुम उसे देख रहे हो, तुम्हारा डर जाता रहेगा…यह रामवाण तकनीक है उन्हें हैंडल करने की जो खुद को बहुत बड़ी तोप मानने का अभिनय करते हैं..
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मेरी शुभकामनाएं तुम्हारे साथ हैं…मुझे भी विश्वास है कि हम तदनुसार पुरस्कृत नहीं कर रहे हैं…कृपया मुझे क्षमा करना गलत है अगर हिन्दी..सॉफ्टवेयर तो महान नहीं है!!
विनायक अग्रवाल
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मिलेगी मिलेगी ।
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कल 16/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
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all the best
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पाँचवी फेल ….. सटीक इशारा है … शुभकामनायें
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शुभकामनाएँ. दस्विदानिया. :))
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अचानक से इस पोस्ट पर टिप्पणियाँ आने से मैं असमंजस में हूँ..
पर यशवंत जी ने इसे नयी-पुरानी हलचल पर जगह दी है इसी कारण लोग आ रहे हैं..
यशवंत जी को धन्यवाद..
पर आप सबको बता दूं कि यह पोस्ट २ साल पुरानी है और अब मैं नौकरीपेशा इंसान हूँ.. 🙂
आप सबकी शुभकामनाओं के लिए बहुत धन्यवाद!
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अगर नौकरी केवल प्रोग्रामिंग से ही लगती है तो……?यह प्रश्न कितने नए इंजीनियर के मुंह से अमीन खुद सुना है कि फिर इतना पैसा खर्चने की…मेहनत करने की ज़रूरत क्या थी .
खैर…..तुम्हें ढेर सारी शुभकामनायें !!जल्दी ही नौकरी लग जाए…..
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mehant kabhi na kabhi jarur rang laati hai.. bas hausla kam nahi karna..
hamari haardik shubhkamnayen aapke saath hain..
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