उसकी अपने-आस पड़ोस और दोस्तों से बहुत बनती थी..
वह सबको खूब प्यार देता और बदले में लोग भी उसे उतना ही सम्मान और प्यार देते..
जिंदगी बहुत ही खूबसूरत और पूर्ण लग रही थी..
धीरे-धीरे वह अपने शहर, राज्य, देश और दुनिया में भी बहुत लोकप्रिय हुआ..
वह लोगों के दिल की धड़कन बन गया था और बहुत खुश था..
वह सबको खूब प्यार देता और बदले में लोग भी उसे उतना ही सम्मान और प्यार देते..
जिंदगी बहुत ही खूबसूरत और पूर्ण लग रही थी..
धीरे-धीरे वह अपने शहर, राज्य, देश और दुनिया में भी बहुत लोकप्रिय हुआ..
वह लोगों के दिल की धड़कन बन गया था और बहुत खुश था..
उसे लगता कि लोग उसके लिए कुछ भी करने को तैयार हैं और लोग थे भी..
कभी-कभी अहम की भावना आ जाती और लगता कि उसके बिना ये दुनिया चल ही नहीं सकती..
और एक दिन उसकी घड़ी रुक गयी.. जिंदगी खत्म, झटके में..
हाहाकार मचा.. लोग बिलखने लगे.. दो दिन तक लोगों का तांता लगा रहा उसके घर के सामने..
चाहने, न चाहने वाले लोग आते और रोते..
मोची से लेकर नेता, सब ग़मगीन… एक दिन का राज्य-शोक रखा गया..
२ दिन बाद लोग अपने दफ्तर जा रहे थे, मोची जूते सुधार रहा था, नेता देश लुटा रहा था, गृहणियां घर-घर खेल रही थीं..
३ दिन बाद सब अपनी मस्ती में मस्त और अपने गम में दुखी थे..
वह चल बसा… दुनिया अपने रंग में चलती रही.. और उसकी उस सोच पर हंस रही थी कि उसके बिना दुनिया नहीं चल सकती..
no body is indispensable in this earth.. yahi baat log samajh nahi paate.. bahut badhiya likha hai prateek aapne !
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जीवन रुकता है क्षण भर के लिये पर बढ़ जाता है।
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जी हाँ, यही दुनिया है,आपने सही चित्रण किया है.
किसी ने कहा है:-
कोई समझा नहीं ये महफिले-दुनिया क्या है,
खेलता कौन है और किस का खिलौना क्या है.
दो घडी रोयेंगे अहबाब तेरे घर वाले ,
फिर हमेशा को भुला देंगे समझता क्या है.
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Everything is so momentary . We get sad at someone's death but the sadness doesn't last for long 'cause we tend to stay happy. Life moves on….
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shashvat satya.
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यदि जीवन किसी के लिए रुकने लगता तो शायद होता ही नहीं.जीवन रुक जाए तो वह जीवन कहाँ?
घुघूती बासूती
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तो बिना अहंकार सब ठीक है ना।
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दुनिया आपसे पहले भी चल रही थी और आपके बाद भी चलती रहेगी…ये एक बहुत कडुआ सत्य है जिसे लोग आसानी से नहीं समझते…आपकी रचना इसी और बहुत ख़ूबसूरती से इशारा कर रही है…बधाई स्वीकारें…
नीरज
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आप के आने से पहले भी ये दुनिया चल रही थी और आपके जाने के बाद भी चलती रहेगी…इस सीधी साडी बात को हम क्यूँ नहीं समझते…अगर समझ लें तो जीवन के अधिकांश झमेले दूर हो जाएँ. ये बात बहुत ख़ूबसूरती से आपने अपनी पोस्ट में कही है…बधाई स्वीकारें
नीरज
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सच और सच के सिवा कुछ नहीं…
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दुनिया किसीके लिए नहीं रूकती है ! इसलिए मन में अहं पालना बेकार है !
आपको और आपके परिवार को होली की शुभकामनायें !
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दुनिया चलती रहती है, भूकंपों-सुनामियों के बाद भी, सद्दामों-ग़द्दाफियों के बाद भी. दुनिया आम आदमी से चलाती है चाहे वह मोची हो या गृहणी या कर्मचारी
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bahut khub. jeevan chanbhangur hota hai hum ye jante hain par fir b andekha karte hain
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नव-संवत्सर और विश्व-कप दोनो की हार्दिक बधाई .
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नेता देश लुटा रहा था, गृहणियां घर-घर खेल रही थीं..
ये पंक्ति कुछ ज्यादा अच्छी लगी ..
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ye ahem to ek din churr hona hi tha
bahut sundar prastuti
badhai
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