बक-बक

फिर से आ टपका हूँ मैं ब्लॉग-जहां में.. किसलिए?
अरे बस ये मत पूछिए.. बस यूँ समझिये की इधर से गुज़र रहा था तो सोचा की आप सबको साष्टांग प्रणाम करता चलूँ.. आशीर्वाद दिए बगैर भागिएगा मत यहाँ से..
बहुत दिनों से सोच रहा था कि क्या लिखूं? क्या लिखूं? कुछ पल्ले नहीं पढ़ रहा है.. तो ऐंवे ही चला आया खाली हाथ.. आम आदमी की तरह हूँ.. खूब सोचता हूँ, बकता हूँ और फिर खाली थैला ले कर घर आ जाता हूँ.. कभी कभी लगता है नौकरी ने दिमाग में जंग लगा दी है.. कुछ सूझता ही नहीं है.. सृजनात्मकता की तो भैया वाट लग गयी है.. बड़ा भारी रोना है.. ऑफिस में ऑफिस राजनीति में लिप्त रहते हैं, बाहर जाते हैं तो भारतीय राजनीति की नेतागिरी करते हैं और घर जाते हैं तो रिश्तेदारों के साथ नेतागिरी.. यानी सृजनात्मकता की जगह नेतागिरी ने ले ली है.. विडम्बना!
खैर एक-दो बातें ही बताऊंगा आज..
सप्ताहांत में कलाकारी में समय दे रहे हैं.. दिल्ली में काफी बेहतरीन कार्यक्रम हो रहे हैं संगीत और कला सम्बन्धी.. यह देख कर अच्छा लगता है कि युवा जनता भी काफी तादाद में शास्त्रीय संगीत सुनने आ रही है और इसमें दिलचस्पी फिर से बढ़ रही है पर जब बात आती है सीखने की, तो अच्छे गुरुजनों का मिलना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन होता जा रहा है डॉन की तरह.. जब तक कला सीखाई नहीं जाएगी तो वो आगे कैसे बढ़ेगी? केवल युवा वर्ग को कोसने से तो काम नहीं चलेगा.. कला को जीवित रखेने के लिए उनसे बात करनी पड़ेगी और उन्हें सही मार्गदर्शन देते हुए ही मंजिल पायी जा सकती है.. ज्ञान बांटने से बढ़ता है चाहे फिर वो पढाई-सम्बन्धी हो या फिर कला-सम्बन्धी.. इस बात की बहुत कमी जान पड़ती है.. कुछ करना होगा.. हमारी कोशिश जारी है और अगर आप भी अपने सुझाव से इसमें हम युवाओं की मदद करें तो इससे बेहतर और बात कुछ नहीं होगी..
और फिर ये:
अभी एक दोस्त से मिला कुछ दिनों पहले.. सिंगल एंड मिन्गल वाले वर्ग का.. फिल्मों ने उसे इतना बेवक़ूफ़ बनाया है कि सही ज़िन्दगी में भी उन हरकतों को कॉपी करने की कोशिश करता है.. कहता है कि किसी पिक्चर में देखा था कि हीरो जानबूझकर अपने गालों पर या नाक पर क्रीम या सॉस लगा लेता है और फिर हिरोईनी बड़े प्यार से अपने हाथों से उस गाल/नाक वाले दाग को धोती है.. और फिर दोनों में प्रेम हो जाता है और फिर कुछ सालों बाद वो हीरो के कपडे धोती है..
इससे वह बड़ा प्रभावित था और बहुत प्रेरणा मिली की वो भी कुछ कर गुज़रे.. वो तो भला हो किस्मत का की कुछ करा तो सही, पर गुज़रा नहीं.. उसने अपनी दोस्तनी को भी इसी जाल में फंसाने की कोशिश की और जब उससे मिलने गया तो अपने गालों में क्रीम का एक निशान जानबूझकर छोड़ दिया.. दोस्तनी ने भी शायद वो पिक्चर देख रखी थी.. चालाक निकली.. उसने न हाथ लगाया और न ही उससे कुछ कहा.. वो बेचारा बार-बार इशारे से उस निशान को दिखाने की कोशिश करता रहा पर वह बड़ी ही अदायगी से नज़रअंदाज़ करती रही..
आस-पास वाले देखते जाते और हँसते जाते.. कुछ देर बाद रेस्टरूम जाने के बहाने दोस्तनी कट ली और बाद में मैसेज कर दिया कि कपडे धोने वाली बाई रख लो..
बेचारे का उल्लू सीधा हो गया और मुन्नी नाम न होते हुए भी बदनाम..
हम बोले, भैया सब ठीक है पर वो ३ घंटे में जो उल्लू बनते हो न, उसको वहीँ हॉल में छोड़कर आया करो.. यहाँ-वहां ले लेकर मत घूमो.. सब उस उल्लू को सीधा करते फिरेंगे..
तो वो बोला, गुरु सही कह रहे हो पर अब क्योंकि मेरा दिल टूट गया है तो क्या मैं रॉकस्टार बन सकता हूँ जैसे रणबीर कपूर बन गया था? मैंने अपना सर पकड़ने की बजाए, उसका सर पकड़ा और तबियत से टेबल पर दे मारा.. तब जा कर उसकी अकाल ठिकाने आई और वो शाष्टांग प्रणाम करता हुआ रुखसत हुआ… हमने तो उसे दिल से आशीर्वाद दे दी की वो जल्दी से बकरा बन जाए और शादी के लड्डू खाए..
अब आप भी ज़रा तबियत से इस नादान परिंदे को आशीर्वाद दे जाएं (कि मैं सृजनात्मकता की ओर फिर से आ पाऊं).. मुझे कोई घर बुला रहा है…. (ओ नादान परिंदे घर आ जा.. आआआ)….
जय राम जी की!
(नोट: अब चूँकि मैंने दो बातें बताई हैं तो आप भी २ टिप्पणी दे कर जाएं.. इसी बहाने टिप्पणियों के बाढ़ से मैं सराबोर हो जाऊंगा.. क्योंकि मुझे पता है कि मेरी ख़ुशी में ही आपकी ख़ुशी है.. नहीं? :D)

8 thoughts on “बक-बक

  1. अच्छे गुरुजनों का मिलना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन होता जा रहा है डॉन की तरह.

    व्यंग की चाशनी में लिपटी बेजोड़ रचना…बधाई

    नीरज

    Like

  2. अरे भाई जो सपनों में जी रहा हो उसे जगाना उचित नहीं है…फिल्में यही तो कर रहीं हैं…आपकी ये एक्स्टेम्पोर बक-बक अच्छी लगी…

    Like

Leave a Reply to रश्मि प्रभा... Cancel reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s