जब अंटे में दो पैसे आने लगे तो मनोरंजन के साधन बदलने लगे.. जहाँ एक ढाबा ही काफी हुआ करता था दोस्तों के साथ, आज बड़े-बड़े होटलों में जाता था..
कभी दारु-सिगरेट नहीं पी पर कुछ ही दिन पहले दोस्तों के उकसाने पर शुरू कर दी.. सोचा कि अब आज़ाद है.. और दोस्तों ने कहा कि शराब पीने से दोस्ती बढ़ती है, रुतबा बढ़ता है… थोड़े पैसे भी हैं.. कुछ नया करते हैं.. कई बेहतर विकल्पों को दर-किनार करते हुए मधुशाला की राह चुनी..
कुछ ही महीनों में भारी मात्र में मय-सेवन होने लगा.. बेवक़ूफ़ दोस्तों ने उसे और उकसाया और अब तो वह पीकर हुड़दंग भी मचाता, आस-पास के लोग परेशान होने लगे..
एक दिन रात को लौटते वक़्त एक कार को अपनी बाईक से टक्कर दे मारी.. नशे में कहा-सुनी भी कर ली.. घर पहुँचने से कुछ पहले पीछे से बाईक पर उसी कार का ज़बरदस्त धक्का लगा और सुनसान रास्ते पर राकेश की लहू से लथपथ लाश अगली सुबह शहर भर में चर्चा में थी.. मधुशाला की राह का अंत हो चुका था..
राकेश के जनाज़े में वही लोग नदारद थे जो कुछ दिनों पहले उसके साथ बैठकर पीते थे.. वो मधुशाला में बैठे, किसी और राकेश का इंतज़ार कर रहे थे..
vicharneey lekh
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यही निष्कर्ष होते है ऐसी जिन्दगियों के..
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अधिक पीने वालो का अंत यही है
बहुत बढ़िया सराहनीय प्रस्तुति,
प्रतीक जी,..आप भी दूसरों के फालोवर बने तथा जो आपका फालोवर है और आपके पोस्ट में आता है उसके पोस्ट में जाकर जरूर अपने विचार दे,यही ब्लोगजगत का शिष्टाचार है,मेरी बातों अन्यथा ना ले,
NEW POST काव्यान्जलि …: चिंगारी…
NEW POST…फुहार…हुस्न की बात…
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धीरेन्द्र जी,
मेरी कोशिश रहती है कि मैं ज्यादा से ज्यादा लोगों को पढ़ सकूं.. पर समय के अभाव में कुछ छूट जाते हैं जिसका अफ़सोस मुझे भी रहता है.. पर कोशिश जारी रहेगी 🙂
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sheekh deti laghukathaa
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जिस तरह मदिरा का प्रचलन विगत वर्षों में बढ़ा है…वो चिंतनीय है…काफी पहले हेलमेट का एक एड आता था…जिंदगी में रिटेक नहीं होता…दोस्ती के बीच अपना भला बुरा समझ आना चाहिए…विवेक का इस्तेमाल भी ज़रूरी है…
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दारु बुरी चीज है कहते हैं, नादान पीने वाला उससे भी बुरा।
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सीख लें चाहिए ऐसी कहानियों से …
नशे की आदत बुरी होती है …
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आपका ब्लॉग पर आकार मेरे भतीजे दक्ष को जन्मदिन पर शुभकामनाएं और बधाई दी उसके लिए आभार
” सवाई सिंह “
मित्रवर प्रतीक माहेश्वरीजी
आप से निवेदन है कि
1blog.sabka@gmail.com
sawaisinghraj007@gmail.com
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ब्लॉग का लिंक्स:-
” Ek Blog Sabka “
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bahut hi sunda … madhushala ki rah ka ant … kabhi na kabhi to ho hi jata !!
wakeyi bahut pasand aayi prastuti pratik bhai !!
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युवा का ऐसा हश्र कई सवाल करती है ..
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विचारणीय लेख..
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कष्ट कारक अंत …
शुभकामनायें आपको !
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क्या कहें…ये जिन्दगी की राह ही अजीब है!!
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दुखद है!!!! मगर एक घटना से बाकी के युवा सबक भी तो नहीं लेते…….
सार्थक पोस्ट
अनु
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