कैसा होता है अपने किसी विचार का दुनिया के सामने रखा जाना? कई बातें जीवन में पहली बार ही होती हैं पर हर बात की उतनी प्रसन्नता नहीं होती जितनी कुछ चंद बातों की होती है। पल तो अगला भी पहली बार ही आता है परन्तु हर पल हमें उस उल्लास से नहीं भरता जितना कुछ चुनिंदे पल भरते हैं।
पिया मिलन को आये/Piya Milan Ko Aaye मेरे जीवन का पहला लिखा हुआ सम्पूर्ण गीत है। इससे पहले भी कई दोहे, छंद, कविताएँ, लेख, इत्यादि लिखे तो हैं किन्तु एक सम्पूर्ण गीत नहीं लिखा था और यह पहली बार हो ही गया।
गीत का इतिहास बताऊँ तो पिया मिलन को आये/Piya Milan Ko Aaye मैंने शायद २०१५ के आसपास लिखा था जब पहली बार मैं बाकी सब काम छोड़कर पूर्णतः संगीत की दुनिया में आया था। लगभग २-३ दिनों में ही गीत की धुन भी तैयार कर ली थी। पर उस समय ऐसा कुछ सोचा नहीं था कि ये गीत रिकॉर्ड करना है या इसे कैसे आगे बढ़ाना है। गीत भी मैंने कुछ सोचकर नहीं लिखा था। श्रृंगार रस पर कुछ लिखना चाहता था और लिखते-लिखते यही टाइप होता चला गया जो अब आपके सामने प्रस्तुत है। बस चाहता था कि कुछ शुद्ध सा लिखूँ जिसमें अपनी भाषा की सुगंध हो और जो प्रेम को अपने मोड़ के साथ प्रस्तुत करता दिखे।
प्रेम एक ऐसा विषय है जिस पर आज के समय लिखा तो बहुत जा रहा है किन्तु उसमें गहराई की कमी देखने को मिल रही है। नई पीढ़ी के लिए प्रेम मात्र शारीरिक रह गया सा लगता है और आजकल के थोड़े जन-प्रसिद्ध गीतों और कविताओं में भी इसी की झलक मिलती है जिसमें स्वार्थ की बू आती है और अपनी खुशी और अपनी ही इच्छाओं की पूर्ति को महत्त्व दिया जाता-सा लगता है।
प्रेम समर्पण मांगता है, त्याग मांगता है, दूसरे व्यक्ति के प्रति आस्था मांगता है और एक बात जो वो कतई नहीं मांगता है, वह है बदले में कुछ पाना। प्रेम निश्छल होगा तभी वो प्रेम कहलाएगा परन्तु वापसी में कुछ मांगते ही वह प्रेम नहीं, मात्र भावनाओं का लेन-देन बन कर रह जाएगा।
“इन्स्टा” और पलक झपकते भावनाओं के बदलते इस माहौल में गाढ़ी प्रेम भी कम हो चली है और जो है भी वह मात्र एक युवक और युवती की प्रेम बनकर रह गई है। पुराने गीतों में प्रेम के कई दायरे थे – उनमें माँ-पिता का प्रेम, भाई-बहन का प्रेम, नाना-नानी का प्रेम, दादा-दादी का प्रेम, मित्र-सखी का प्रेम, ईश्वर का प्रेम, भक्तों का प्रेम और तो और, जानवरों का भी प्रेम समाहित था। हमें इन दायरों को और खंगालना होगा, प्रेम के इन विस्तृत मायनों को शब्दों में पिरोना होगा ताकि वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियाँ यह न समझें कि प्रेम एक-दिशात्मक ही होता है बल्कि यह सर्व-दिशात्मक है।
पिया मिलन को आये/Piya Milan Ko Aaye का पूरा ऑडियो (05:27 मिनट) हर जगह सुन सकते हैं
पिया मिलन को आये/Piya Milan Ko Aaye अब Airtel, Jio, VI और BSNL पर callertune/कॉलरट्यून के रूप में उपलब्ध है। कैसे सेट करें?
नेटवर्क | प्रक्रिया |
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ऐयरटेल/Airtel | ‘Wynk’ ऐप डाउनलोड करें और “Piya Milan Ko Aaye” ढूँढें और callertune/कॉलरट्यून सेट कर लें। |
जिओ/Jio | ‘MyJio’ ऐप डाउनलोड करें और “Piya Milan Ko Aaye” ढूँढें और JioTune के रूप में सेट करें। |
वोडाफ़ोन-आईडिया/VI/ Vodafone-Idea | ‘VI’ ऐप डाउनलोड करें और कॉलरट्यून के अंतर्गत “Piya Milan Ko Aaye” ढूँढें और callertune/कॉलरट्यून के रूप में सेट करें। |
बीएसएनएल/BSNL | ‘My BSNL Tunes’ ऐप डाउनलोड करें और “Piya Milan Ko Aaye” ढूँढें और callertune/कॉलरट्यून के रूप में सेट करें। |
पिया मिलन को आये/Piya Milan Ko Aaye – एक व्याख्या
पिया मिलन को आये/Piya Milan Ko Aaye एक ऐसी रचना है जिसमें एक प्रेमिका अपने प्रेमी के आने की प्रतीक्षा कर रही है और साथ ही साथ उसमें एक घबराहट है, एक बेचैनी भी है कि जब वह आएगा तो उसके दिल पर क्या बीतेगी।
Lyrics of Piya Milan Ko Aaye
साँवरे बावरे
आधी हुई याद मैं तेरी, हाय
पिया मिलन को आये
मन मोरा घबराए
मंद-मंद बहती हवा
क्या कह रही है बता
पिया का संदेसा लाये रे
मुखड़े पे घुंघट डारे
होठों को दाँतों से दाबे
धीमी-धीमी मैं शरमाई
हौले-हौले पिया आये
धाक-धूक जिया जाए
कुछ भी न बोल पाऊँ रे
उनकी बाँहों में, मैं फूलन सी
भँवरा बन छू जाए
पहला अंतरा हवाओं के सहारे संदेसा लाता है और प्रेमिका का अपने घूँघट को दाँतों तले दबाने की व्याख्या करता है। यह गीत में प्रेम और लज्जा का मिश्रण करता है जो प्रेम को और प्रगाढ़ बनाती है।
दूसरे अंतरे में प्रेमी का वास्तविक रूप में आ जाने की व्याख्या की गई है और उसके आने पर प्रेमिका का मौन हो जाना और प्रेमी की बाहों में सिमट जाने का चित्रण किया गया है।
पूरे गीत में प्यार को प्रकृति द्वारा अलंकृत किया गया है और इस मिलन को बहुत ही कोमलता और सहजता से दर्शाने का प्रयास मैंने किया है जो इसे गीत को धुनबद्ध करते हुए भी मैंने ध्यान में रखा था।
चूँकि यह एक बहता-सा प्रेम है इसलिए इसकी धुन को भी बहुत ही सरलता से बहते हुए पानी-सा बनाना मेरे लिए आवश्यक था और मैंने मध्यम सुरों से इसकी शुरुआत करते हुए इसमें ‘घबराए’ शब्दों को दोहराया है जिससे प्रेमिका के भाव का सम्पूर्णता से प्रदर्शन हो सके।
शास्त्रीय संगीत सीखा हुआ होने के कारण मैंने इसमें अर्ध-शास्त्रीय हरकतों का प्रयोग किया है जो इस गाने को अलंकृत करते हैं और इसे अन्य सामान्य गीतों से कुछ अलग करते हैं।
अंतरों में जहाँ शुरुआत मध्यम सुरों से होती है, वहीं अंतिम पंक्तियों को धीमे-धीमे ऊँचे सुरों तक खींचा गया है और एक आलापीय अंदाज़ में उसका अंत किया गया जो न केवल गीत की गरिमा को बढ़ाता है परन्तु उसे एक उचित अंत भी प्रदान करता है।
पहले अंतरे की समाप्ति और मुखड़े के शुरू होने के बीच एक ठहराव आता है जो श्रोताओं को इस गीत में डूबने का मौका देता है और मुखड़े की शुरुआत तबले के साथ होती है जो कि श्रोताओं के लिए एक अच्छा वाला सरप्राइज़ है और कई लोगों ने इसे सराहा भी है। एक बात आपको बताता चलूँ कि मुखड़े और पहले अंतरे के बीच सारंगी की एक बहुत ही सुन्दर धुन बजती है जो न केवल इस गीत के लिए बहुत ही उपयुक्त है, बल्कि इस गाने के भाव को चार चाँद भी लगाती है।
दूसरे अंतरे से पहले मेरा एक आलाप है जो कि पृष्ठभूमि में से सुनाई पड़ता है और उसके समापन पर ही दूसरा अंतरा आरम्भ होता है जो कि लगभग पहले अंतरे जैसा ही है किन्तु विविधता को जीवित रखने के लिए मैंने “उनकी बाहों में” में कुछ हरकतों को जोड़ा है जिसमें कोमल सुर लगते हैं और इस गीत को नया आयाम प्रदान करते हैं।
ऊपर मैंने गीत को लेकर अपनी सोच को लेकर सभी विचार व्यक्त किये हैं किन्तु श्रोतागण हर गीत को अपने हिसाब से सुनते-परखते हैं और मुझे विश्वास है कि आप सभी को यह गीत पसंद आएगा और आप मुझे आगे की गीतों में सुधार हेतु भी अपनी प्रातक्रिया अवश्य देंगे जिसकी मुझे प्रतीक्षा रहेगी।
एक स्वतन्त्र कलाकार होना कठिन है और इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए आम लोगों का, आप लोगों का साथ होना अत्यंत आवश्यक हो जाता है और मुझे आशा है कि आपका सहयोग न केवल इस गीत के लिए, बल्कि आने वाले सभी गीतों के लिए भी मिलता रहेगा।
आपकी शुभकामनाओं के लिए आशान्वित,
पेटीवादक