जमा कर बस्ती ठठ्ठा,
दुखों पर बिठा दे बट्टा,
हो जा तू मस्त मलंग,
यह है होली का हुड़दंग ।।
ना दे बातों पर धरना,
पछताएगा तू वरना,
उड़ा दे बातें नापसंद,
यह है होली का हुड़दंग ।।
बीते झगड़ों का छोड़ मलाल,
फेंक अब प्यार की गुलाल,
रिश्ते बना सतरंग,
यह है होली का हुड़दंग ।।
रख एक और यह मोबाइल,
दिखा अब अपनी सच्ची स्माइल,
चल मिल बैठें हम संग,
यह है होली का हुड़दंग ।।
चढ़ जा मस्ती की चट्टान,
कर तू स्वयं को भी हैरान,
कुछ ठंडाई हो, कुछ भंग,
यह है होली का हुड़दंग ।।
कर बेधड़क प्रेम का इज़हार,
शर्माएगा कब तक तू यार,
चढ़ें अब सूली दोनों संग,
यह है होली का हुड़दंग ।।
Feeling energetic while reading this poem. Happy Holi. 😁
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