कुछ दिन पहले रेलगाड़ी में यात्रा कर रहा था और अपने कुप्पे में एक नवविवाहित जोड़े से बातचीत हो रही थी।
दोनों सिक्किम जा रहे थे, पति के घर। पर एक बात मुझे बहुत समय से खटक रही थी कि ये दोनों पहाड़ के निवासी होने के बावजूद भी एक-दूसरे से हिंदी में बात कर रहे थे, न कि नेपाली में।
मैंने जब इनसे पूछा कि ऐसा क्यों है? तो लड़के ने कहा कि वह स्वयं तो सिक्किम से है लेकिन उसकी पत्नी असम से है और दोनों मुंबई में मिले थे। चूँकि लड़की असम से है इसलिए उसे नेपाली नहीं आती है और लड़के को असमिया नहीं आती है, इसलिए इन दोनों की संपर्क भाषा हिंदी है।
यह सुनकर मेरा मन अत्यंत हर्षित हुआ कि जहाँ एक ओर भाषाई आधार पर लोगों में विभाजन पैदा करने के अथक प्रयास हो रहे हैं, वहीं अपनी प्यारी हिंदी लोगों में प्रेम बढ़ा ही नहीं रही है, किन्तु प्रेम को पूर्णता भी प्रदान कर रही है।
Short and sweet!
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Very nicely said in sweet way..
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