झूठ की धुलाई वाला सच

एक सुबह मन में निश्चय कर के उठा कि सच तो क्या, उसकी नानी भी ढूँढूँगा। पता नहीं खुद से भी झूठ बोल रहा था या सच में ऐसा सोच लिया था। पर जो भी था, मन में ठान तो लिया था। नहा-धोकर, खा-पीकर एक सरकारी कार्यालय में घुसा तो देखा कि चपरासी झूठ की … Continue reading झूठ की धुलाई वाला सच

ये शहर.. कैसा है ये शहर?

Mumbai Local Rush

मुंबई शहर पर एक बाहरी व्यक्ति की सोच, एक कविता के रूप में..

ब्लॉगिंग के १० वर्ष – ये कहाँ आ गए हम

कल ही की तो बात थी जब अपने कॉलेज के एक छोटे से कमरे में बैठे, गरमाती लू के चक्कर में किंवाड़ को खुला रखे, अध्-टूटी खिड़कियों से सरसराती गर्म-ठंडी हवा, खट-खट कर चलते पंखे और अपनी पूरी लौ के साथ जलते उस ट्यूबलाइट के तले ये सफ़र शुरू हुआ था।

बवाली लोग

"अरे भूकंप आया, भूकंप आया, भागो भागो, जान बचाओ" बस इतना सुनना था कि कमरे में बैठे दसों लोग हाथ उठाकर भागे पर जैसे ही आँगन में आये तो समझ आया कि बगल वाले अवैध घर को गिराने के लिए क्रेन कार्य पर लगा हुआ है और यही कारण है कि थोड़ा इनका घर भी … Continue reading बवाली लोग

हाय री हिन्दी!

हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य पर सरकार ने जो बड़े-बड़े परदे छपवाए थे, उनमें भी अंक सारे अंग्रेजी में ही थे। कैसी विडम्बना है कि हिन्दी दिवस मनाते वक़्त भी वो अंग्रेजी अंकों (और शब्दों) का प्रयोग कर रहे थे।

मसाला चाय | Terms & Conditions Apply | किताब समीक्षा

"दिव्य प्रकाश दुबे", एक ऐसा नाम है जो नए प्रभावशाली युवा हिन्दी लेखकों में अपना नाम शुमार करवा चुके हैं। इनकी दो किताबें, "मसाला चाय" और "Terms & Conditions Apply" अब तक छप चुकी है और हिन्द युग्म ने इन पुस्तकों को प्रकाशित किया है। आज दोनों किताबों के बारे में साथ ही बात करेंगे।मैं … Continue reading मसाला चाय | Terms & Conditions Apply | किताब समीक्षा

दर दर गंगे (किताब समीक्षा)

कई सालों बाद कोई किताब की समीक्षा कर रहा हूँ अपने ब्लॉग पर। पिछली बार तब, जब प्रेमचंद की पहली उपन्यास पढ़ी थी। अगर इतिहास में गोता लगाना चाहें तो यहाँ लगाइए।आज बात करेंगे "दर दर गंगे" की। यह किताब मैंने खरीदी नहीं थी पर मुझे भेंट स्वरुप प्राप्त हुई। दरअसल फेसबुक पर गुरुप्रसाद जी … Continue reading दर दर गंगे (किताब समीक्षा)

६ साल: ब्लॉग, लेखन, तजुर्बा

१५ अप्रैल २००८ की एक रात को एक कमरे में बैठा था। सोच रहा था कि आज इस काम को अंजाम दे ही दिया जाए। रात भर खोज करता रहा और इस नवीन तकनीक का इस्तेमाल करने को आरूढ़ हो गया। कुछ भी घिसा-पिटा लिखा और अपनी ऊंघती हुई फोटो भी डाल दी और सुबह … Continue reading ६ साल: ब्लॉग, लेखन, तजुर्बा