ऐ माँ, मोहे क्षमा कर दीजे

ऐ माँ, मोहे क्षमा कर दीजे क्योंकि मैंने तुझे मदर्स डे यानी मातृदिवस पर सोशल मीडिया के अनेकोनेक मंचों पर तेरा अभिवादन नहीं किया।

ऐ माँ, मोहे क्षमा करना कि मैंने तेरे साथ वाली फोटू कहीं नहीं लगाईं जिसमें लिखा हो “बेस्ट मदर ऑफ़ द वर्ल्ड”

ऐ माँ, मोहे क्षमा करियो कि मैंने तेरे नाम पर दो शेर भी नहीं लिखे जिस पर फिर मुझे लाखों लाइक्स और हज़ारों टिप्पणियों में डूबने का मौका मिलता। मैंने अपनी कला का सही उपयोग नहीं किया है।

माँ-पुत्र-मातृदिवस
ऐ माँ, मोहे क्षमा कीजे क्योंकि मुझे क्या पता है कि भले ही तू सोशल मीडिया पे नहीं है परन्तु तुझे मातृदिवस पर वहीं पर शुभकामनाएँ देनी होती है। यही दुनिया का चलन है। पर मुझे क्या पता था?

ऐ माँ, मोहे क्षमा कीजे कि समय की वेदी पर मैं इस पीढ़ी के साथ न चल सका। तेरे सिखाए और बताए हुए हुनरों को तराश कर मैंने हीरे-मोतियों सी पंक्तियाँ फेसबुक पर न लिखीं जिस पर लोग मर मिटते और कहते ‘भाई, मातृभक्ति हो तो ऐसी’।

ऐ माँ, मोहे क्षमा करना कि मेरा तेरे प्रति सम्मान और प्रेम को मैं औरों की तरह सोशल मीडिया पे ज़रा भी न भुना सका। शायद मैं ज़िन्दगी की दौड़ में पीछे छूट गया, नहीं?

ऐ माँ, तू मुझे क्षमा करना कि व्हाट्सऐप पर मैंने अपनी तस्वीर ना बदली और करोड़ों अनजान लोगों तक तेरी और मेरी अनमोल छवि न पहुँचा सका। क्या इतना बुरा हूँ मैं माँ? बोल?

ऐ माँ, मैंने तो तेरे को कभी भी ‘हैप्पी मदर्स डे’ विश नहीं किया है। क्या अब मैं सुपुत्र कहलाने के लायक रह गया हूँ क्या? बता? तुझे तो सब पता है ना? ये देख न, लोग तो ऐसा ही समझ-कह रहे हैं।

ऐ माँ, तूने तो बताया था कि प्यार निश्छल होता है, अविरल, अजेय। पर ये क्या, यहाँ तो अहम, आकस्मिक और पराजित सा दिख रहा है। लगता है तू भी दुनिया की दौड़ में पीछे रह गयी है। पर मैं खुश हूँ कि मैं अभी भी तेरे पीछे ही हूँ।

पर माँ, मोहे क्षमा कर देना, क्योंकि अगर आगे बढ़ने का मतलब ढकोसला है, तो ये मेरे से कभी न हो पाएगा। मैं बस तेरे से यूँ ही बात करते हुए तेरा हालचाल जान लूँगा, पूछ लूँगा कि तूने क्या खाया है, जान लूँगा कि तू स्वास्थ्य का ध्यान रखती है कि नहीं, समझ लूँगा कि तेरा दुःख क्या है। शायद कभी तुझे ये न कह पाऊँ “हैप्पी मदर्स डे”, पर तू तो मेरी माँ है ना, तुझे पता है कि तेरा बेटा चाहे इस भेड़चाल में पीछे रह गया हो, पर वो तेरे साथ ही है माँ। माँ, मुझे क्षमा करना कि मैं दुनिया के हिसाब से बदल न सका, पर मैं खुश हूँ कि इस ना बदलने से तेरे-मेरे बीच का प्रेम नहीं बदला है।

p.s.: आपकी जानकारी के लिए, मैंने इस पोस्ट का प्रिंट ले कर माँ को पढ़ा दिया है. इसलिए इस बात पर कोई टिप्पणी ना हो कि भईया, ये पोस्ट भी तो सोशल मीडिया पर है. इसका क्या औचित्य भला। हैं?

5 thoughts on “ऐ माँ, मोहे क्षमा कर दीजे

  1. Haha….Wah super hai…This describes show off nature of love in the current scenario prevalent in society.

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