कन्नू की “गाय” ते माँ का “Cow”

काफी महीनों बाद लिख रहा हूँ..कारण २ हैं.. पहला अनुपलब्धि अंतरजाल की और दूसरा अनुपलब्धि अच्छे विषय की...पर आज दोनों ही बाधाएं दूर हो गयी हैं और इसलिए लिख रहा हूँ..यूँ तो मैं लघु कथाएं लिखने लगा था पर आज एक लघु कथा ऐसी लिखूंगा जो कि मनगढंत नहीं है अपितु मेरे ही सामने घटा … Continue reading कन्नू की “गाय” ते माँ का “Cow”

एक दृढ़ फैसला?

मोहित एक सर्वगुण और सम्पूर्ण परिवार का लाडला बेटा था | बड़ा भाई डॉक्टर बन गया था और बड़ी बहन भी अपनी पढ़ाई पूरी कर के अपने ससुराल जा चुकी थी | मोहित पिछले ५ सालों से बाहर ही था और अपनी पढ़ाई ख़त्म करके वो वापस घर आया था |मोहित में बदलाव ज़बरदस्त था … Continue reading एक दृढ़ फैसला?

आपत्ति

ऋषि फ़ोन पर बात कर रहा था, अपनी गर्लफ्रेंड, प्रीती से..प्रीती उसे कह रही थी कि वो सुबह जल्दी उठा करे और इसके फायदे और निशाचर होने के नुक्सान बता रही थी..ऋषि पूरे तन्मयता के साथ सुन रहा था.. आधे घंटे तक सुना..उनके इस रिश्ते के बारे में ऋषि की माँ को पता था और … Continue reading आपत्ति

जैसे को तैसा..

आज कुछ पढ़ रहा था अंतरजाल पर.. बहुत ही अच्छी कहानी.. कुछ कुछ सच भी.. तो सोचा कि आप सभी के साथ बाटूँ..कहानी कुछ ऐसी थी:एक बुज़ुर्ग अपने बेटे के यहाँ रहने गया, विलायत...बेटे की शादी हो चुकी थी और बेटा भी था, ४ साल का..बुज़ुर्ग पर उम्र काफी हावी हो चुकी थी.. नज़र कमज़ोर … Continue reading जैसे को तैसा..

अँधा कौन ?

बचपन उस अंधे को देखकर यौवन हो गया था...जब अंकुर अपनी माँ के साथ मंदिर से बाहर आता तो उसे देख कर विस्मित हो जाता.. उसे दुःख होता...एक दिन वह अपने दुःख का निवारण करने उस अंधे के पास पहुंचा..पहुंचा और बोला - "बाबा, अँधा होने का आपको कोई गम है?"अँधा बोला - "बेटा, यह … Continue reading अँधा कौन ?

लडकियां बनाम समाज

बस खचाखच भरी थी और लोग जैसे तैसे अपने से ज्यादा अपने जेबों को संभाल रहे थे..तभी निशा बस में चढ़ी क्योंकि उसे दूसरे बस के जल्दी आने की उम्मीद नहीं थी..एक नवयुवक ने नवयुवती को देखा तो झट खड़ा होने को आया.. और कहा - "आप बैठिये, मैं खड़ा हो जाता हूँ |"निशा ने … Continue reading लडकियां बनाम समाज