जहाँ लोग ये, वहां हम वो

उफ्फ आखिरकार मैं खुली हवा में फ़िर से साँस ले रहा हूँ…लेकिन खुश होने की इतनी ज़्यादा बात नहीं है, 2 दिन बाद फ़िर से कुछ दिनों के लिए ब्लैक-आउट हो जाएगा | खैर आप तो जाने ही दीजिये इन सब फिजूल की बातों को….खुशी की बात यह है कि आज बहुत दिनों बाद ब्लॉग करने का मौका मिला है | क्या करुँ समझ नहीं आ रहा है | दिमाग में यूँ कहें की या तो बहुत सी बातें दौड़ रही हैं या फ़िर दिमाग में केवल गाय का चारा भरा रह गया है |
बिट्स में आ कर तो बहुत अच्छा लगा था पर तीसरे साल में पहुँचते ही काफ़ी लोगों को “बिट्स में आना” अपनी “3 Mistakes of My Life” में से एक लग रहा है | मैं समर्थन करता हूँ पर गहराई में जाएं तो मैं संसद भवन के विपक्षी दल की तरह आप पर गाज गिरा सकता हूँ |

आज दिल में ख़याल आया की इन सब भारी भरकम सिलेबस, किताब, ट्युट्स, टेस्ट्स, लैब्स और भी ना जाने क्या क्या चीज़ों के नीचे दबे हुए इस संसार के कुछ परेशान आदम-खोर [यहाँ आइये साहब सबके बढे हुए जुल्फों को देख कर आप भी यही कहेंगे] अगर इन सब दबाव के नीचे अगर कुछ सकारात्मक सोच रखें तो ज़िन्दगी उतनी दर्दनाक [सही शब्द है ना अभी के हालात के मुताबिक ??] नहीं रह जाएगी |
क्या कभी सोचा है कि ज़िन्दगी जो केवल परीक्षाओं का खेल है, आगे हमारे लिए कितनी आसान हो जाएगी ?

1. कंपनी में लोग यह देख कर परेशान रहेंगे की हम बिट्सियन प्रेजेंटेशन, प्रोजेक्ट वगैरह-वगैरह से तनिक भी चिंतित नहीं रहते हैं | आलम यह रहेगा – “अच्छा प्रतीक, कल यह प्रेजेंटेशन देना है..हो जाएगा ?” और हम कहेंगे – “क्या सर ? बस एक ही है ?..नहीं करेंगे !!!!! हमारी आदत एक साथ कम से कम दो टेस्ट, प्रेजेंटेशन, प्रोजेक्ट देने की है | खैर, लाइट रा ! हो जाएगा |”

2. जब ऐसी जगह पहुँच जाएं की हमारी पूरी टीम खाने से परेशान है तो हम यही कहेंगे – “क्या बात कर रहे हो ? यह खाद्य तो बिल्कुल खाने योग्य है | कम से कम यह तो समझ में आता है की क्या खा रहे हैं | पिलानी में 4 साल रहकर भी यह नहीं जान पाएं हैं की भिन्डी और आलू के अलावा मेस में क्या-क्या खाया है | इसलिए मस्त हो जाओ और चुप-चाप इतना beautiful [हम खाने को उसकी खूबसूरती से रेट करते हैं, ना कि स्वाद से] खाना खाओ |”

3. जब ऐसी जगह पहुँच जाएंगे जहाँ लोग ठण्ड के कारण काम ना करने का बहाना बना रहे हों, वहीँ हम पूरे जोश के साथ नाईट-आउट मार रहे होंगे और सफलता की सीढियां चढ़ रहे होंगे | जब लोग गर्मी से परेशान ए.सी. और पंखों की तलाश में भटक रहे होंगे वहीँ हम मटक-मटक कर अपने काम को बेधड़क बिन भटके कर रहे होंगे |

4. जब हमारे आस-पास के लोग यह शिकायत जता रहे होंगे कि यहाँ तो बर्ड-वाचिंग भी नहीं कर सकते वहीँ हम, जिनका स्तर शून्य से कहीं नीचे जा चुका है, नयन सुख प्राप्त कर रहे होंगे |

5. जहाँ लोग यह कहकर परेशान होंगे की उनका पारिश्रमिक [salary] बहुत कम है वहीँ हम एक चूसे हुए आत्मा की तरह बहुत ही संतुष्ट रहेंगे क्योंकि साहब अब जिसको zuc,1,2,3,4….की आदत हो गई है, वो बेचारा क्यों फोकट में आंसू बहाएगा ?

6. जहाँ लोगों को कंपनी में इन्टरनेट की स्पीड पर आपत्ति होगी वहीँ हम कहेंगे – “अरे, पप्पू खुश रह नहीं तो तुझे बिट्स ले जाऊंगा जहाँ दिनों-दिनों तक लोग बिना इन्टरनेट के भी जीवित रह सकते हैं – क्योंकि वहां लोगों को जीना आता है |”

7. जहाँ लोग एक दिन नहीं नहाने पर अपने शरीर के दुर्गन्ध से मारे जाएँगे वहीँ हम बिट्सियन पता नहीं कितने मासूमों को अपनी ना नहाने की आदत से उनको दुनिया से रुखसत कराएँगे |

8. जहाँ लोगों को 1 कि.मी. चलने के लिए भी स्कूटर की ज़रूरत पड़ेगी वहीँ हम 10-10 कि.मी. तो यूँ ही पैदल नाप आएँगे |

9. जहाँ लोगों को “Oberoi’s” का खाना भी पसंद नहीं आ रहा होगा वहीँ हम रास्ते में आए ढाबे को भी “Taj” का ओहदा दे जाएंगे |

10. जहाँ लोग पुणे-मुंबई हाईवे पर 2 घंटे के सफर के बाद फुस्स हो जाएँगे वहीँ हम पूरा बिहार सड़क पर तय करने के बाद कहेंगे – “दिल्ली से पिलानी चलें ? “

11. जहाँ रात को तीन बजे लोग अपने घर में चूल्हे पर चाय बना रहे होंगे, वहीँ हम अपने दोस्त से कहेंगे – “चलें एक कटिंग चाय पीने बस-स्टैंड” ?

12. और जहाँ लोगों के स्टेटस-मैसेज आज भी “3 Mistakes of My Life – Joining my College, .., ..” होगा, वहीँ हम बस यही लिख पाएंगे – “बिट्स पिलानी – मेरा धर्म, मेरी सोच, मेरी दुनिया, मेरी ज़िन्दगी”

P.S. – अगर यह पोस्ट पढने के बाद आपको ऐसा लग रहा है कि बिट्स-पिलानी में कुछ चीज़ों का स्तर काफ़ी कम है तो आपको बता दूँ :
1. यहाँ का खाना कई दूसरे कॉलेजों से काफ़ी अच्छा है जैसा मैंने अपने दूसरे कॉलेज के दोस्तों से सुना है |
2. यहाँ इन्टरनेट हर कमरे में उपलब्ध है – स्पीड कम है,कभी कभी 1-2 दिन के लिए इन्टरनेट नहीं रहता है पर फ़िर भी हम अपनी ज़िन्दगी बिना इसके सकुशल निकाल सकते हैं |
3. यहाँ के रेडी और कैन्टीन के खाने पेट[हमारे] भरने के लिए होते हैं ना की जेब[उनके] भरने के लिए |

पर अगर यह पढने के बाद भी आप दिल खोल के गालियाँ देना चाहते हैं तो बेखबर होकर, बेखौफ होकर, बेहिसाब होकर दीजिये … कुछ सालों बाद आप मेरे पोस्ट पर टिपण्णी करने ज़रूर आएँगे… यह शर्त है मेरी आप से |

One thought on “जहाँ लोग ये, वहां हम वो

  1. “और जहाँ लोगों के स्टेटस-मैसेज आज भी “3 Mistakes of My Life – Joining my College, .., ..” होगा, वहीँ हम बस यही लिख पाएंगे – “बिट्स पिलानी – मेरा धर्म, मेरी सोच, मेरी दुनिया, मेरी ज़िन्दगी” vaastav mein kaafi prerak hai yeh post!!

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