बाल लंगोटन, होली और ग़ज़लें

People enjoying Holi festival by playing with colour and singing songs.

जब व्यक्ति जीवन में बहुत परेशान होता है तो उसे कुछ भी अच्छा नहीं लगता है और हर अच्छी बात में भी वो नुक्स निकालने लगता है, झल्लाता रहता है।

हमारे बाल लंगोटन साहब अभी बहुत खिजियाए हुए हैं क्योंकि अभी तक उनको किसी होली मिलन समारोह के लिए कहीं से आमंत्रण नहीं मिला है और जब लंगोटन साहब खिजियाते हैं तो उनके सामने अच्छे से अच्छों को भी हार माननी पड़ती है।
एक मित्र के घर गायक कुछ ग़ज़लें गा रहा है और लंगोटन जी कुछ रूखे से प्रतिउत्तर देते जा रहे हैं। देखिए कुछ उदाहरणों के साथ…

गा: कल चौदहवीं की रात थी, शब भर रहा चर्चा तेरा …
ल: तुम ये बताओ, हर चौदहवीं की रात तुम एक्के लड़की के बारे में चर्चा करते हो? मुन्नी, शीला, मोनिका सब अवेलेबल हैं, फिर काहे stalker की तरह उस एक बेचारी के पीछे पड़े हो?

गा: होठों से छू लो तुम…
ल: ठाकुर हो क्या, जो हाथ से नहीं छू सकते?

गा: तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो…
ल: किसी चीज़ से चैन भी है तुम्हें? रोओ तो बोलते हो और रोओ, दुःख हल्का होता है और हँसे तो ‘इतना’ क्यों मुस्कुरा रहे हो?

गा: होश वालों को खबर क्या…
ल: भैया, उन्हें तो कुछ खबर ही नहीं है। सारी खबर इंडिया टीवी और आजतक वालों को ही है।

गा: रंजिश ही सही, दिल ही दुखाने के लिए आ…
ल: साथ में मुन्नी को भी लेते आना, झंडू बाम लगा देगी।

गा: ये दिल, ये पागल दिल मेरा, वो क्या हुआ आवारगी…
ल: भाई, अपनी आवारागर्दी के आचरण को तुम गाना से ढकने की कोशिश न करो। तुम्हारा कच्चा-चिट्ठा हमको सब मालूम है, समझे?

गा: चिट्ठी न कोई सन्देश…
ल: अमा यार, तुम कौन से युग में जी रहे हो? यहाँ बस मेसेज और विडियो कॉल होता है, तुम बस कबूतर उड़ाओ चिट्ठियों के साथ।

गा: दीवारों से मिलकर रोना अच्छा लगता है…
ल: तुमको ग़ज़लों की नहीं, थेरपिस्ट की आवश्यकता है। एकदम पगला गए हो का, जो दीवारों को गले लगा रहे हो?

गा: और आहिस्ता कीजिये बातें…
ल: ये ग़ज़ल तुम ट्रेनों में गाओ जहाँ लोग गला फाड़-फाड़ कर अपनी दुःख-गाथा पूरे डब्बे को सुनाते हैं।

गा: प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है…
ल: अनपढ़-गँवार हो क्या जो इतना वक़्त लगता है? बचपन में लड़कियों की जगह शब्दों को पढ़े होते तो आज यह अड़चन न आती।

बाल लंगोटन जी ने अपनी खुन्नस के कारण गायक जी की लंगोटी खोल दी और गायक जी निकले पतली गली से। वैसे होली का समय है और इसमें मस्ती होती ही रहेगी पर आप पतली गली से न निकलिएगा क्योंकि वहाँ अवश्य ही लंगोटन का कोई खिसियाया हुआ यार तैयार होगा पक्के रंग के साथ और आप उस गली से बचकर न निकल सकेंगे।

बुरा न मानो होली है और मान रहे हो तो अभी आपको लंगोटन जी से मिलवाता हूँ।

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