तीन साल ब्लॉगिंग के

आज ब्लॉग ३ साल का हो गया है... कुछ मेरी और ज्यादा आपकी बदौलत..३ साल काफी लंबा समय होता है और तीन साल में काफी कुछ बदल गया है और काफी कुछ आज भी वैसा का वैसा ही है..मेरी सोच, मेरे देखने, मेरे समझने, मेरे परखने का तरीका बदला है... ३ साल पहले मैं छात्र … Continue reading तीन साल ब्लॉगिंग के

पढ़े-लिखे अशिक्षित

२ दिन बाद होली होने के कारण मेट्रो में काफी भीड़ थी.. लोग अपने-अपने घर पहुँचने की जल्दी में थे और शुक्रवार होने के कारण भीड़ कुछ ज्यादा ही हो गयी थी.. मैं भी अपने घर जाने के लिए मेट्रो में चढ़ा हुआ था और मेट्रो की हालत ऐसी कि तिनका रखने तक की जगह … Continue reading पढ़े-लिखे अशिक्षित

चलती दुनिया

उसकी अपने-आस पड़ोस और दोस्तों से बहुत बनती थी..वह सबको खूब प्यार देता और बदले में लोग भी उसे उतना ही सम्मान और प्यार देते..जिंदगी बहुत ही खूबसूरत और पूर्ण लग रही थी..धीरे-धीरे वह अपने शहर, राज्य, देश और दुनिया में भी बहुत लोकप्रिय हुआ..वह लोगों के दिल की धड़कन बन गया था और बहुत … Continue reading चलती दुनिया

जियो जी!

काम, काम सब कर रहे हैं। सब व्यस्त हैं, दुखी हैं पर सब फिर भी काम कर रहे हैं।कोई कहता है शौक बड़ी चीज़ है, हम कहते हैं काम बड़ी चीज़ है।शौक से घर थोड़े न चलता है, काम से चलता है।शौकवाले होगे तो अच्छी स्त्री नहीं मिलेगी पर कामवाले होगे तो अच्छी स्त्री आपको … Continue reading जियो जी!

आत्महत्या

  वो निःशब्द, निस्तब्ध खड़ी रही, हम हँसते रहे, फंदे कसते रहे, वो निर्लज्ज कर्ज में डूबती रही, हम उड़ती ख़बरों को उड़ाते रहे, वो रोती रही, सिसकती रही, हम बेजान खिलौनों से चहकते रहे, वो चीखती रही, चिल्लाती रही, हम अपने जश्न में उस आवाज़ को दबाते रहे, वो डरती रही, बिकती रही, हम … Continue reading आत्महत्या

एक लम्हां

सुधीर और सलोनी एक ही कॉलेज से पढ़े थे और एक दूसरे को कॉलेज के दिनों से जानते थे..पसंद एक दूसरे को दोनों करते थे पर कभी इज़हार नहीं किया.. एक दूसरे के बोलने का इन्तज़ार करते रहे.. एक बार सलोनी किसी व्यावसायिक यात्रा पर सुधीर के शहर आई तो दोनों ने मिलने का कार्यक्रम … Continue reading एक लम्हां

अनमोल अजन्मी कन्याएं

भोला भागता हुआ कमरे में घुसा और साँसों ही साँसों में एक वज्र मार गया.."बाबा, जायदाद के लिए फिर से हाथापाई हो गयी और गौतम ने जीतू भैया को गोली मार दी!!"इतना सुनना था कि बाबा और माँ पवन की वेग से गाड़ी में चढ़ कर जीतू के घर पहुंचे..वहां अफरा-तफरी मची हुई थी और … Continue reading अनमोल अजन्मी कन्याएं

५०० रूपए

सुधीर और मोहन बहुत ही करीबी दोस्त थे... सर्वसम्पन्न तो दोनों के परिवार थे पर एक जगह जा कर दोनों की राहें अलग हो जाती थीं | दोनों एक ही कंपनी में कार्यरत थे और जैसा कि एक आम युवा-दिल होता है.. दोनों में काफी बहस छिड़ी रहती थी.. बालाओं को लेकर, परिवार को लेकर, … Continue reading ५०० रूपए

दर्द-निवारक

छोटा सौरव जब चलना सीख रहा था तो कभी-कभी गिर पड़ता, माँ झट उसे गोद में लेकर उसके दर्द को गायब कर देती...बचपन में जब चोट लगती थी तो सौरव भागा-भागा अपने माँ-बाप के पास आता था.. वो झट से उसका दर्द दूर कर देते...कम नंबर आने पर जब सौरव उदास हो जाता तो उसके … Continue reading दर्द-निवारक

बदलाव खुद से

साहिल और राहुल, अन्य किसी भी कॉलेज के छात्र की तरह कभी-कभी देश पर चर्चा करने लगते थे..दोनों बहुत कोसते थे इस देश के प्रणाली को.. इस देश के तंत्र को... कम ही मौके ऐसे आते थे जब वो दोनों देश के बारे में कुछ भी सकारात्मक कहते हों...एक दिन दोनों एक स्वयंसेवी संस्था में … Continue reading बदलाव खुद से