राय का रायता

जब अंतरजाल का खोला डब्बारह गया मैं हक्का-बक्का किसी को होड़ थी नाचने कीकिसी की दौड़ थी हँसाने की राजनीति पर था किसी का शिकंजाकिसी का खेलों पर था पंजा चित्रकारी किसी ने कुशल दिखाईनकल में अकल दूजे ने लगाई मेला-रेला-खेला देखाविदूषक होने की न सीमा रेखा झट जो मन में बातें आतीराय बनाकर परोसी … Continue reading राय का रायता

विकलांग कौन?

उसकी उन्मुक्त खिलखिलाहट सुन, मैं खुद से प्रसन्न हो उठाउसके अधरों पर हँसलाली देख, मैं खुद होठों को मोड़ उठाउसकी ज़िन्दादिल बातें सुन, मैं दुःख को छोड़ एक होड़ उठाउसकी आज़ाद गीतों को सुन, मैं खुद को खुद में खो उठाजब देखा उसे ‘न देख पाने’ की कमी को पटखनी देतेमैं खुद को सवालों से … Continue reading विकलांग कौन?

ये शहर.. कैसा है ये शहर?

Mumbai Local Rush

मुंबई शहर पर एक बाहरी व्यक्ति की सोच, एक कविता के रूप में..

रिसता यौवन

कब इस शांत-लहर-डर मन में उद्वेलित सुनामी जागेगी?इस घुटते मरते यौवन में कब चिंगारी सी भागेगी?काला अँधा सा ये जीवन, कैसा है यह बिका बिका?क्यों हर चेहरा मुरझाया सा, क्यों है हर तन थका थका?कब दौड़ेगी लाल लहू में, इक आग यूँ ही बैरागी सी?स्फूर्ति-समर्पण-सम्मान सघन सी, निश्छल यूँ अनुरागी सीकब इस शांत-लहर-डर मन में...आँखें … Continue reading रिसता यौवन

मेरा वोट, मेरा देश

वैसे तो ४ राज्यों में चुनाव हो गए हैं पर अभी लोक सभा चुनाव जैसा शेर आने को तैयार हो रहा है तो यह कृति तब के लिए भी उतना अर्थ रखेगी।यह कविता एक प्रतियोगिता के तहत लिखी थी पर उसका परिणाम आया नहीं है सो अब ब्लॉग पर डाल रहा हूँ। आशा है कि … Continue reading मेरा वोट, मेरा देश

इस दिवाली तो बस..

इस दिवाली एक छोटी सी कृति उन तमाम लोगों के लिए, उन तमाम लोगों की तरफ से, जो यह दिवाली मेरी ही तरह अपने घर से दूर रहेंगे। मेरा तो यह मानना है कि आज के इस भगदड़ ज़िन्दगी में जब भी आप अपने घर-परिवार-दोस्तों के साथ होते हैं, तभी दीवाली-होली-ईद-रमज़ान मनती है। पर जनाब … Continue reading इस दिवाली तो बस..

एक शहर देखा है मैंने – "दिल्ली"

सभी को बताते हुए अत्यंत हर्ष हो रहा है कि कुछ दिनों पहले एक 12 मिनट की फिल्म "दिल्ली" में संगीत देने का अवसर प्राप्त हुआ. आप में से कईयों को यह तो पता होगा कि मैं गाने का बहुत शौक़ीन हूँ (आपने मेरे गाने यहाँ सुने होंगे) और गाने के साथ-साथ मैं हारमोनियम/कीबोर्ड भी … Continue reading एक शहर देखा है मैंने – "दिल्ली"

मुझसे होगी शुरुआत!

यह गीत एक प्रतियोगिता के लिए लिखा और संगीतबद्ध किया था. इस स्वतंत्रता दिवस पर सबको उम्मीद है एक बदलाव की और वो बदलाव की शुरुआत खुद से होगी.सब ओर है भ्रष्टाचार की बातदेश को जकड़े जिसके दांतआओ अब सब कहेंमुझसे होगी शुरुआत!लूटा है नेताओं ने देश तो क्या?बदला है सच्चाई ने भेष तो क्या?उठा … Continue reading मुझसे होगी शुरुआत!