उसकी उन्मुक्त खिलखिलाहट सुन, मैं खुद से प्रसन्न हो उठाउसके अधरों पर हँसलाली देख, मैं खुद होठों को मोड़ उठाउसकी ज़िन्दादिल बातें सुन, मैं दुःख को छोड़ एक होड़ उठाउसकी आज़ाद गीतों को सुन, मैं खुद को खुद में खो उठाजब देखा उसे ‘न देख पाने’ की कमी को पटखनी देतेमैं खुद को सवालों से … Continue reading विकलांग कौन?