आपका ब्लॉग कई वर्ष पहले पढ़ता था किन्तु फिर छूट गया। पुनः पढ़ना शुरू कर रहा हूँ। मुख्यतः आपके लेखों से अपने शब्दकोष को बढ़ाने का प्रयास रहेगा और दूसरा आपके गहन विचारों को समझने का। आभार
मन की बात
ब्लॉगिंग और इस सफ़र से जुड़ी खुद पर लिखी एक समीक्षा और आगे बढ़ने की कोशिश पर मेरे कुछ खयाल..
घर की सैर
ऑडियो यहाँ सुनें:https://www.reverbnation.com/widget_code/html_widget/artist_1159585?widget_id=50&posted_by=artist_1159585&pwc%5Bdesign%5D=default&pwc%5Bbackground_color%5D=%23333333&pwc%5Bincluded_songs%5D=0&pwc%5Bsong_ids%5D=16824428&pwc%5Bphoto%5D=0&pwc%5Bsize%5D=fitरेल की सीटी ने कूच के आगाज़ को आवाज़ दे दी थी। एक गुब्बारा देखा था कई साल पहले जिसके पीछे बस्ती के कुछ बच्चे भागे जा रहे थे। मन उस गैस के गुब्बारे की तरह उड़ने लगा था। जाने क्यों घर जाते वक़्त मन का गुब्बारे की तरह उड़ना और उम्र के बीच … Continue reading घर की सैर
जनसत्ता में आलेख
पहली बार "जनसत्ता" में आलेख छपा "समाज की गति" शीर्षक से |१४ मई २०१२ का अखबार देखिएगा | बड़ी ख़ुशी हुई |अब पहली बार इतने बड़े समाचार पत्रिका में आलेख छपे तो कितनी ख़ुशी होगी, इसका अंदाजा काफी लोगों को होगा | पर इससे ज्यादा ख़ुशी इस बात कि की संतोष त्रिवेदी जी ने कई महीनों … Continue reading जनसत्ता में आलेख
घूसखोर भगवान
हमारी आदत ही हो गयी है.. जो नेता दिखे - घूसखोर है.. जो पुलिस वाला दिखा - घूसखोर है... जो सरकारी कर्मचारी दिखे - घूसखोर है..माना की इन सब मामलों में हमारे तुक्के सत-प्रतिशत सही बैठते हैं.. पर कुछ दिनों पहले दुनिया का सबसे बड़ा घूसखोर खोजा मैंने..हुआ यूँ की एक मंदिर गया था दोस्त … Continue reading घूसखोर भगवान
धर्म से कमाई या कमाई का धर्म?
बात चल रही थी कि फलाने मंदिर में लोग ६-७ घंटे भगवान के दर्शन [दर्शन क्या.. एक झलक ही समझ लीजिये] के लिए पंक्तियों में खड़े रहते हैं.. फिर ऊपर से खूब चढ़ावा भी होता है..सुना था मंदिर वो जगह है जहाँ पूरे दिन का थका हुआ आदमी जाता है तो थकान मिट जाती है.. … Continue reading धर्म से कमाई या कमाई का धर्म?
50-50
पिछले पोस्ट में नीरज त्रिखा ने जो कहा उससे तो बिलकुल सहमत हूँ और हाँ बात सिर्फ कह देने से समाप्त नहीं हो जाती, वरन उस पर अमल होना चाहिए, तभी कही हुई बात लाजवाब हो जाती है अन्यथा बेबात!अब बारी इस पोस्ट की..कुछ दिनों पहले मैं अपने कुछ दोस्तों के साथ बैठे बात कर … Continue reading 50-50
बेवकूफ लड़कियां..नींद की कड़कियां
लग रहा है कि बहुत सालों बाद इस ब्लॉग पर कुछ डाल रहा हूँ.वैसे मेरा ही लफ्जों का खेल वाला ब्लॉग तो हमेशा ही अद्यतन होता रहता है..और कल ही यहाँ पर भी कुछ डाला है..पर मेरा खुद का ब्लॉग ही सूना पड़ा है..तो आज इसका रुदन दिल तक पहुंचा और मैं आ गया फिर … Continue reading बेवकूफ लड़कियां..नींद की कड़कियां
YSR – जीवित या मृत ?
श्रद्धांजलि और नमन पोस्ट का शीर्षक पढ़कर चौंकिए मत..मैं कोई जासूसी भरी पोस्ट नहीं कर रहा हूँ.. क्योंकि जासूसी आती नहीं और कोशिश की थी तो मुंह की खानी पड़ी थी (पूछियेगा मत किस तरह की जासूसी) पिछले हफ्ते बहुत हल्ला हुआ.. हर जगह, हर टीवी चैनल, हर अख़बार बस एक ही बात उगल रहे … Continue reading YSR – जीवित या मृत ?
A Stupid Common Man
तो जनाब सब कैसे हैं ?पता नहीं अब यह ब्लॉग कोई पढ़ेगा भी या नहीं..बिलकुल ठप्प पड़ा है.. जैसे कोई सरकारी कार्यालय हो..करें भी क्या ? परीक्षाओं के बाद घर पहुँच गए और फिर वहां इतना आराम फरमाया है साहब जैसे की खरगोश आधे साल काम कर के सोने चला गया हो.. खैर घर पर … Continue reading A Stupid Common Man