बवाली लोग

“अरे भूकंप आया, भूकंप आया, भागो भागो, जान बचाओ” बस इतना सुनना था कि कमरे में बैठे दसों लोग हाथ उठाकर भागे पर जैसे ही आँगन में आये तो समझ आया कि बगल वाले अवैध घर को गिराने के लिए क्रेन कार्य पर लगा हुआ है और यही कारण है कि थोड़ा इनका घर भी हिल गया।

पर मामला यहीं समाप्त नहीं हुआ। उन दसों लोगों ने घूरकर श्यामू को नंगे आँखों पकड़ा और उसपर बरस उठे जो उसने यूँ ही हँगामा खड़ा कर दिया। श्यामू भी तेज़ी से घर से भगा क्योंकि ये बवाल खड़ी करने की आदत आज फिर से रंग लाई थी।

ये मनगढ़ंत कहानी केवल इस कारण ही बता रहा हूँ कि ऐसे बवाली लोग ना, सबके आसपास मिल जाते हैं। ये वही लोग हैं जो तिल का तिहाड़ और परत का पहाड़ करने में देर नहीं लगाते। और ऐसा नहीं है कि ये वो सोच-समझकर करते हैं, उन्हें बस भीत्तर ही भीत्तर आनंद का आनंद उठाना होता है।

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अभी कुछ महीनों पहले मुंबई में खूब बरसकर बारिश हुई और शहर थम गया। ऑफिस के आंतरिक चैट में कुछ लोगों ने भयावह ख़बरें फैलानी शुरू कर दी कि ये हो गया, वो हो गया। फलानी जगह इतने लोग ढह गए, अलानी जगह मकान गिर गया। ये सारे समाचार बस उड़ते तीर थे जो उन्होंने पकड़ा और चैट पर डाल दिया जिससे लोगों को लगे कि कुछ तो बहुत भीषण ही हो गया है और सबको दुबक कर घर पर बैठना चाहिए। ऐसे बवाली लोग मन ही मन चाहते हैं कि डर के मारे ऑफिस की छुट्टी हो जाए और वो मौज उड़ाएँ। मेरे को तो ऐसा लगता है कि ये वही लोग हैं जो व्हाट्सऐप पर वो सन्देश भी आगे बढ़ाते हैं जो कहता है कि ‘अगर यह सन्देश आपने १० लोगों को नहीं पहुँचाया तो अगले १० घंटे में आपका घर ज़मीनदोज़ हो जाएगा।’

बचपन में हमें याद है जब स्कूलों में छुट्टी इसलिए हो जाती थी कि शहर में कुछ छुटपुट घटना हो गयी है या फिर पानी जम गया है या कोई भ्रष्ट नेता सदाचार पर भाषण देने शहर आ रहा है। तब हमें बड़ा मज़ा आता था और हम ऐसे दिनों की प्रतीक्षा करते थे कि कब यूँ ही छुट्टियाँ हो जाए और जो उस दिन का जो गृहकार्य नहीं किया है, उसके बदले मिलने वाली मार या मुर्ग-आकार बनने से हम बच जाएँ। पर वो तो बचपन था, वो निकल गया परन्तु ऐसे पढ़े-लिखे और फिर भी बवाली लोगों को देखकर लगता है कि इनका बचपना अभी तक नहीं गया।

ऐसे बवाली लोगों से सावधान भी रहें। कहीं ऐसे बवाली आपके जीवन में आसपास ही हैं तो तूफ़ान या सुनामी कभी भी आपका घर खटखटा सकती है और फिर आपको उजाड़ के निकल सकती है। मज़ाक-मज़ाक में बवाल करना तो ठीक है किन्तु जब संजीदी बातों में भी बात का बतंगड़ बनाने वाले लोग आ जाएँ तो फिर भगवान ही बचाए।

खैर, मेरा तो काम आपको ऐसे उजाड़ूओं से आगाह करना था। अगर कुछ ऐसे ही लोगों से आपका भी परिचय हुआ हो तो उनकी चटपटी कहानी बताएँ, नहीं तो बस ऐसे लोगों से बचकर जीवन की गाड़ी बढ़ाते रहें। जय राम जी की!

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