The story of Superman of Gurgaon imagined through the experience of a common man being conned by the politicians and bureaucrats.
Superman of Gurgaon (SOG)
The story of Superman of Gurgaon imagined through the experience of a common man being conned by the politicians and bureaucrats.
(व्यंग्य) ख़ुफ़िया पत्रकार सुकडू सिंग की हमारे चहेते नेता श्री भोजभक जादू से टूटी सड़कों पर विशेष बातचीत के कुछ अंश।
यदि आपको रोना आ गया तो आप इस देश के सच्चे नागरिक हैं क्योंकि भारत एक रुदन प्रधान देश है।
एक संस्मरण जहाँ हिंदी ने एक प्रेम कहानी गढ़ी है।
हिन्दी की गिरती गुणवत्ता पर कुछ निजी विचार (उदाहरणों के साथ)
हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य पर सरकार ने जो बड़े-बड़े परदे छपवाए थे, उनमें भी अंक सारे अंग्रेजी में ही थे। कैसी विडम्बना है कि हिन्दी दिवस मनाते वक़्त भी वो अंग्रेजी अंकों (और शब्दों) का प्रयोग कर रहे थे।
अभी-अभी रेडियो सुन रहा था तो ये विचार उठा कि ये जो विज्ञापन हैं, उनमें से ९०% कोई न कोई सेल के बारे में ही है। कोई आपको ५०% की छूट दे रहा है, तो कोई आपको एक-पे-दस मुफ्त दे रहा है, तो कोई आपको मुफ्त की हवा भी बेच रहा है। कहने का अर्थ … Continue reading ये सेलतंत्र है!
हमारे खड़े रहने की आदत पर कुछ विचार..
सब धन में मगन हैं न चैन, न अमन है खरीदना सबको गगन है बस एक अविरल अगन है सब धन में मगन हैं
कब इस शांत-लहर-डर मन में उद्वेलित सुनामी जागेगी?इस घुटते मरते यौवन में कब चिंगारी सी भागेगी?काला अँधा सा ये जीवन, कैसा है यह बिका बिका?क्यों हर चेहरा मुरझाया सा, क्यों है हर तन थका थका?कब दौड़ेगी लाल लहू में, इक आग यूँ ही बैरागी सी?स्फूर्ति-समर्पण-सम्मान सघन सी, निश्छल यूँ अनुरागी सीकब इस शांत-लहर-डर मन में...आँखें … Continue reading रिसता यौवन