आजकल लोग बुरा नहीं मान रहे, क्या बात हो गयी है ऐसे? अभी कुछ दिन पहले तक तो लोग सुई गिरने पर भी हल्ला बोल मचा देते थे। अभी कल ही एक दोस्त मिला कई अरसे बाद। मैंने उसे खूब खरी-खोटी सुनाई कि अब शादी हो गई है तो मिलता नहीं है, जोरू का गुलाम … Continue reading बुरा तो मानो… होली है!
सफ़र वही, सोच नई
राजेश, यही नाम है उसका। वैसे तो कोई भी नाम ले लीजिये, कहानी कुछ ऐसी ही रहेगी।राजेश रोज़ मेट्रो में सफ़र करता है। वैसे देखें तो अंग्रेजी वाला suffer भी कहा जा सकता है। और सिर्फ राजेश ही क्यों, सिर्फ नाम बदल दीजिये और उसी की तरह कई और राजेश भी रोज़ मेट्रो में सफ़र … Continue reading सफ़र वही, सोच नई
सुनो, अरे सुनो!
साभार: गूगलराहुल मेरी-आपकी तरह एक आम आदमी, नौकरी करता है, घर आता है, घर चलाता है और फिर अगले दिन शुरू हो जाता है. अपने पितृगाँव से दूर है पर घर पर सब खुश हैं कि लड़का अपना अच्छा ओढ़-बिछा रहा है और घर की गाड़ी चला रहा है. अभी राहुल की शादी नहीं हुई … Continue reading सुनो, अरे सुनो!
सस्ती जान
राकेश और मोहित, पक्के दोस्त. स्कूल में ११वीं में एक साथ थे. वैसे तो दोनों मध्यमवर्गीय परिवार से थे पर युवावस्था में आ कर सभी शौकीन हो जाते हैं क्योंकि ये समय ही होता है बेपरवाह उड़ने का.दोनों को चौपाटी में जा कर खाने का बड़ा शौक था. शहर के एक व्यस्त बाजार में सड़क … Continue reading सस्ती जान
आँखों देखी (फिल्म)
ऐसा कब होता है जब आप एक भ्रामक अवस्था में धकेले जाते हों और वहीँ पर रह जाना चाहते हो? मेरे साथ तो ये तब होता है जब मैं वो फिल्में देखता हूँ जो असलियत को आपके चेहरे पर दे मारती है। ऐसी फिल्में जो सिर्फ परदे पर एक बनावट है पर हज़ारों जिंदगियों की … Continue reading आँखों देखी (फिल्म)
हो रहा महिला सशक्तिकरण!
अनिता और पूनम पहली बार कॉलेज में ही मिली थी और समय के साथ बहुत ही गहरी दोस्त बन गयी थीं। चूँकि उनका ब्रांच भी एक ही था, तो क्लास जाना, परीक्षा के लिए पढ़ना, असाइनमेंट पूरा करना, इत्यादि इत्यादि सब साथ में होता था। जब इतनी देर साथ रहते थे तो कई सारी चर्चाएँ … Continue reading हो रहा महिला सशक्तिकरण!
कुत्ता गोष्ठी
कुत्तों की गोष्ठी हो रही थी और आस पास वाले मोहल्लों से भी सहभागी इस गोष्ठी में शामिल हुए थे। गोष्ठी का कोई खास उद्देश्य तो नहीं था। बस अपनी-उसकी सफलताओं का अंधबखान, तालियाँ, भौंकालिया, इत्यादी। गोष्ठी एक छप्पर के नीचे जमी हुई है जो कुछ साल पहले किसी भिखारी की हुआ करती थी। इसमें … Continue reading कुत्ता गोष्ठी
मेरा वोट, मेरा देश
वैसे तो ४ राज्यों में चुनाव हो गए हैं पर अभी लोक सभा चुनाव जैसा शेर आने को तैयार हो रहा है तो यह कृति तब के लिए भी उतना अर्थ रखेगी।यह कविता एक प्रतियोगिता के तहत लिखी थी पर उसका परिणाम आया नहीं है सो अब ब्लॉग पर डाल रहा हूँ। आशा है कि … Continue reading मेरा वोट, मेरा देश
एक शहर देखा है मैंने – "दिल्ली"
सभी को बताते हुए अत्यंत हर्ष हो रहा है कि कुछ दिनों पहले एक 12 मिनट की फिल्म "दिल्ली" में संगीत देने का अवसर प्राप्त हुआ. आप में से कईयों को यह तो पता होगा कि मैं गाने का बहुत शौक़ीन हूँ (आपने मेरे गाने यहाँ सुने होंगे) और गाने के साथ-साथ मैं हारमोनियम/कीबोर्ड भी … Continue reading एक शहर देखा है मैंने – "दिल्ली"
थूकन कला
"थूकना", यह एक ऐसा शब्द है, एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे हर भारतीय बहुत ही परिचित और बहुत ही अनजान है। परिचित इसलिए क्योंकि वो इस क्रिया को दिन में कई बार करता है और अनजान क्योंकि वह यह प्रक्रिया अनायास ही करता रहता है। जिस कुशलता से हम साँस लेते हैं, उसी दक्षता से … Continue reading थूकन कला