यह गीत एक प्रतियोगिता के लिए लिखा और संगीतबद्ध किया था. इस स्वतंत्रता दिवस पर सबको उम्मीद है एक बदलाव की और वो बदलाव की शुरुआत खुद से होगी.सब ओर है भ्रष्टाचार की बातदेश को जकड़े जिसके दांतआओ अब सब कहेंमुझसे होगी शुरुआत!लूटा है नेताओं ने देश तो क्या?बदला है सच्चाई ने भेष तो क्या?उठा … Continue reading मुझसे होगी शुरुआत!
अंतरजाल का जाल
अंतरजाल, आज थोड़े से भी पढ़े लिखे लोगों के लिए उनके जीवन का अभिन्न अंग हो गया है और पढ़े-लिखे ही क्यों, अशिक्षित लोगों के लिए भी यह कोई माया से कम नहीं है जो अपने जादू से उनको मोह लेती है।कम्प्युटर का प्रचलन भारत में एक विस्तृत पैमाने पर करीब ८-१० साल पहले ही … Continue reading अंतरजाल का जाल
दिखावा और हम – कब बदलेंगे हम?
लो एक साल और निकल लिया सस्ते में और हमें तो माधुरी भी नहीं मिली रस्ते में..कई लोगों ने सरकार के खिलाफ विरोध में नए साल के जश्नों को एक तरफ कर दिया। काबिल-ए-तारीफ़ है उनका जज्बा और हक़ की लड़ाई। और वहीँ कितने ही लोगों ने हर साल की तरह दारु पी कर हुडदंग … Continue reading दिखावा और हम – कब बदलेंगे हम?
संस्कार
रमेश बस स्टॉप पे खड़ा बस का इंतज़ार कर रहा था। दिन काफी व्यस्त रहा था ऑफिस में।स्टॉप से थोड़ा आगे बाईं ओर 2 मोहतरमाएं खड़ी थीं। एक के सलवार-दुपट्टे और एक के जींस-टॉप से समझ आ गया कि ये माँ-बेटी हैं और ज़रूर ही अपनी कार का इंतज़ार कर रही हैं। और दोनों के पहनावे से … Continue reading संस्कार
त्यौहार, मौज-मस्ती, ज़िन्दगी!
त्यौहारों का मौसम फिर से शुरू हो रहा है और हाँ छुट्टी का मौसम भी.. :)बारिश के अकाल की तरह छुट्टियों का यह अकाल हर नौकरी-पेशा इंसान को तंग करता है..अब त्यौहारों का मौसम भी एक ऐसे त्यौहार से जिसकी हमारी समाज में जड़ें बहुत गड़ी हुई हैं और जो समय के साथ-साथ अपने रंग … Continue reading त्यौहार, मौज-मस्ती, ज़िन्दगी!
सरल या क्लिष्ट हिन्दी
एक अविरल भिन्नता जिसपर छोटी से बहस और सोच..
मधुशाला की राह
नौकरी में रमे हुए राकेश को १ ही साल हुआ था.. अपने कॉलेज में सबसे अच्छे छात्रों में शुमार था और नौकरी में भी अव्वल..जब अंटे में दो पैसे आने लगे तो मनोरंजन के साधन बदलने लगे.. जहाँ एक ढाबा ही काफी हुआ करता था दोस्तों के साथ, आज बड़े-बड़े होटलों में जाता था..कभी दारु-सिगरेट … Continue reading मधुशाला की राह
"भाग डी.के.बोस" का सरल हिन्दी अनुवाद
यह लेख मैंने काफी पहले लिखा था पर पोस्ट नहीं किया था । पहले ही बता दूं कि गीत की गहराई को समझते हुए इसके विश्लेषण को आराम से पढ़ें । पोस्ट की लम्बाई पर मत जाओ, अपना समय लगाओ 🙂 Daddy मुझसे बोला, तू गलती है मेरी तुझपे जिंदगानी guilty है मेरी साबुन की … Continue reading "भाग डी.के.बोस" का सरल हिन्दी अनुवाद
बक-बक
फिर से आ टपका हूँ मैं ब्लॉग-जहां में.. किसलिए?अरे बस ये मत पूछिए.. बस यूँ समझिये की इधर से गुज़र रहा था तो सोचा की आप सबको साष्टांग प्रणाम करता चलूँ.. आशीर्वाद दिए बगैर भागिएगा मत यहाँ से..बहुत दिनों से सोच रहा था कि क्या लिखूं? क्या लिखूं? कुछ पल्ले नहीं पढ़ रहा है.. तो … Continue reading बक-बक
मौत से ज़िन्दगी
मनोज, एक सीधा-साधा मेहनती इंसान... कॉलेज से प्रथम श्रेणी में स्नातक और फिलहाल नौकरी पेशा..घर पर माँ, एक छोटा भाई और एक छोटी बहन का पूरा बोझ उसके ऊपर..प्रथम श्रेणी से पास होने के बावजूद एक मामूली नौकरी मिली थी बड़े शहर में.. कुछ से अपना गुज़ारा चलाता और बाकी घर पर भेजता..बहन की शादी … Continue reading मौत से ज़िन्दगी