संगीत बन जाओ तुम!

कब तक इस नकली हवा की पनाह में घुटोगे तुम? आओ, सरसराती हवा में सुरों को पकड़ो तुमसंगीत बन जाओ तुम!कब तक ट्रैफिक की ची-पों में झल्लाओगे तुम?आओ, उस सुदूर झील की लहरों को सुनो तुमसंगीत बन जाओ तुम!कब तक अपनी साँसों को रुपयों में बेचोगे तुम?आओ, आज़ाद साँसों की ख्वाहिश सुनो तुमसंगीत बन जाओ … Continue reading संगीत बन जाओ तुम!

अपने

सोचा करता था वह "अपने" लोगों के बारे मेंवही जिनको वो कई रिश्तों से पहचानता थामाँ, पिता, भाई, बहन, चाचा, दोस्त, जिगरी दोस्त, चड्डी दोस्त.."अपने"यह शब्द भेदती थी उसे कभी..क्या यह शब्द दुनिया का छलावा नहीं है?इस शब्द ने कईयों की दुनिया नहीं उजाड़ी है?परफ़िरक्या इन्हीं "अपनों" ने उसकी ये ज़िंदगी हसीन नहीं बनाई है?क्या … Continue reading अपने

तेरे-मेरे बीच

हिन्दी दिवस फिर से आया है आज.. मैंने सोचा कि इस हिन्दी दिवस पे कुछ नया किया जाए.. जो पहले कभी नहीं किया हो... अपने पोस्ट "तीन साल ब्लॉगिंग के" में मैंने लिखा था कि श्रृंगार रस को छोड़कर हर रस का आनंद लिया है मैंने अपनी लेखनी में.. तो इस बार हिन्दी दिवस पर … Continue reading तेरे-मेरे बीच

कुत्ते की मौत

बहुत दिन हो गए नीचे वाली चंद पंक्तियों को.. मैं स्वतंत्रता दिवस का इन्तज़ार तो नहीं कर रहा था पर परिस्थितियों ने इस पोस्ट के लिए इसी दिन को मुनासिब समझा है.. क्या किसी को याद भी है कि आज से कुछ १ महीने पहले मुंबई में बम-ब्लास्ट्स हुए थे? शायद नहीं.. सबको हिना रब्बानी … Continue reading कुत्ते की मौत

आत्महत्या

  वो निःशब्द, निस्तब्ध खड़ी रही, हम हँसते रहे, फंदे कसते रहे, वो निर्लज्ज कर्ज में डूबती रही, हम उड़ती ख़बरों को उड़ाते रहे, वो रोती रही, सिसकती रही, हम बेजान खिलौनों से चहकते रहे, वो चीखती रही, चिल्लाती रही, हम अपने जश्न में उस आवाज़ को दबाते रहे, वो डरती रही, बिकती रही, हम … Continue reading आत्महत्या

रजनी चालीसा

आज कल रजनीकांत सर पर बहुत सारे एस.एम.एस और दो लाईना बन रहे हैं.. भैया अब वो हैं ही ऐसे कमाल के..६१ साल में ऐसे-ऐसे कारनामे अपनी फिल्मों में जो करते हैं.. नव-कलाकारों की तो सिट्टीयां और पिट्टीयां सब गुम हो गई हैं.. रजनीकांत सर ने जितनी मेहनत और निष्ठां से फ़िल्मी जगत को एक … Continue reading रजनी चालीसा

स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं

दिल में जोश भरे बढ़ रहे हैंहम मतवाले लक्ष्य की ओर..देखो ज़रा संभल के चलनाकोई काटे न यह एकता की डोर..अपने साथ-साथ इस देश को भीसुन्दर और भव्य बनाना है..हर बुराई को दूसरों से पहलेखुद में से मिटाना है..जब ज़हन में हर वक़्त रहेगीस्वच्छता की बात..तो स्वतः ही झलकेगीदेश भक्ति की सौगात..आज प्रण लो, इस … Continue reading स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं

जन्माष्टमी की शुभकामनाएं

जब जनम हुआ इस नटखट का |तब जहां पूरा खिलखिलाया ||इसके चंचल बचपन में |पूरा गोकुल भरमाया ||मीरा राधा खो गयी |ऐसी प्रीत लगाई ||हर बुराई का नाश किया |दुनिया को सीख सिखाई ||तुम चंचल, प्यारे, निडर बनो |बस यही गीता का सार ||मुबारक हो आपको जन्माष्टमी का त्यौहार ||मुबारक हो आपको जन्माष्टमी का त्यौहार … Continue reading जन्माष्टमी की शुभकामनाएं

बेईमान तूफ़ान

बिखरते पत्तों का चेहरे पर लगना,ठंडी हवा का ज़ुल्फों को चूमना,खुशबू मिट्टी की तन में उतरनाऔर हमारा सड़कों पर बेफिक्री से भीगना....आज मौसम बड़ा बेईमान है, आया यहाँ कोई तूफ़ान है...ढलता सूरज नहीं,यह तो बादल का आंचल है,यह सन्नाटा सुनसान नहीं,बस आंधी की आहट है,आज मौसम बड़ा बेईमान है,आया यहाँ कोई तूफ़ान है...

हाँ माँ तुम ही हो

यह छोटी सी कृति मेरी माँ के जन्मदिन पर लिख रहा हूँ...बस अपने भावों को कुछ शब्द देने की कोशिश कर रहा हूँ...बहुत मुश्किल है उस अन्दर छुपे अनंत भाव को शब्दों में बदलना...बस एक कोशिश है...सूरज की गर्मी और भव्यता हो तुमआसमान की नीलाई और विशालता हो तुमसागर की गहराई और अथाह हो तुमओंस … Continue reading हाँ माँ तुम ही हो