सस्ती जान

राकेश और मोहित, पक्के दोस्त. स्कूल में ११वीं में एक साथ थे. वैसे तो दोनों मध्यमवर्गीय परिवार से थे पर युवावस्था में आ कर सभी शौकीन हो जाते हैं क्योंकि ये समय ही होता है बेपरवाह उड़ने का.दोनों को चौपाटी में जा कर खाने का बड़ा शौक था. शहर के एक व्यस्त बाजार में सड़क … Continue reading सस्ती जान

हो रहा महिला सशक्तिकरण!

अनिता और पूनम पहली बार कॉलेज में ही मिली थी और समय के साथ बहुत ही गहरी दोस्त बन गयी थीं। चूँकि उनका ब्रांच भी एक ही था, तो क्लास जाना, परीक्षा के लिए पढ़ना, असाइनमेंट पूरा करना, इत्यादि इत्यादि सब साथ में होता था। जब इतनी देर साथ रहते थे तो कई सारी चर्चाएँ … Continue reading हो रहा महिला सशक्तिकरण!

कुत्ता गोष्ठी

कुत्तों की गोष्ठी हो रही थी और आस पास वाले मोहल्लों से भी सहभागी इस गोष्ठी में शामिल हुए थे। गोष्ठी का कोई खास उद्देश्य तो नहीं था। बस अपनी-उसकी सफलताओं का अंधबखान, तालियाँ, भौंकालिया, इत्यादी। गोष्ठी एक छप्पर के नीचे जमी हुई है जो कुछ साल पहले किसी भिखारी की हुआ करती थी। इसमें … Continue reading कुत्ता गोष्ठी

कैसे कैसे गीत (भ्रष्ट गीत)

गीत तो हम सब गाते हैं। कुछ स्नानागार में, कुछ सभागार में, कुछ कारागार में, कुछ आगार (बस डिपो) में और भी न जाने कहाँ-कहाँ। गाना सबको आता है, यह तो कुदरती है। पर जनाब किसी को बोलिए कि दो पंक्ति सुना दे और वो नये नवेले दुल्हे की तरह शरमा जाता है (दूल्हा इसलिए … Continue reading कैसे कैसे गीत (भ्रष्ट गीत)

मेरा वोट, मेरा देश

वैसे तो ४ राज्यों में चुनाव हो गए हैं पर अभी लोक सभा चुनाव जैसा शेर आने को तैयार हो रहा है तो यह कृति तब के लिए भी उतना अर्थ रखेगी।यह कविता एक प्रतियोगिता के तहत लिखी थी पर उसका परिणाम आया नहीं है सो अब ब्लॉग पर डाल रहा हूँ। आशा है कि … Continue reading मेरा वोट, मेरा देश

एक शहर देखा है मैंने – "दिल्ली"

सभी को बताते हुए अत्यंत हर्ष हो रहा है कि कुछ दिनों पहले एक 12 मिनट की फिल्म "दिल्ली" में संगीत देने का अवसर प्राप्त हुआ. आप में से कईयों को यह तो पता होगा कि मैं गाने का बहुत शौक़ीन हूँ (आपने मेरे गाने यहाँ सुने होंगे) और गाने के साथ-साथ मैं हारमोनियम/कीबोर्ड भी … Continue reading एक शहर देखा है मैंने – "दिल्ली"

थूकन कला

"थूकना", यह एक ऐसा शब्द है, एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे हर भारतीय बहुत ही परिचित और बहुत ही अनजान है। परिचित इसलिए क्योंकि वो इस क्रिया को दिन में कई बार करता है और अनजान क्योंकि वह यह प्रक्रिया अनायास ही करता रहता है। जिस कुशलता से हम साँस लेते हैं, उसी दक्षता से … Continue reading थूकन कला

मुझसे होगी शुरुआत!

यह गीत एक प्रतियोगिता के लिए लिखा और संगीतबद्ध किया था. इस स्वतंत्रता दिवस पर सबको उम्मीद है एक बदलाव की और वो बदलाव की शुरुआत खुद से होगी.सब ओर है भ्रष्टाचार की बातदेश को जकड़े जिसके दांतआओ अब सब कहेंमुझसे होगी शुरुआत!लूटा है नेताओं ने देश तो क्या?बदला है सच्चाई ने भेष तो क्या?उठा … Continue reading मुझसे होगी शुरुआत!

तपस्या

"तपस्या", एक ऐसा शब्द है जो हमें प्राचीन काल में ले जाता है जहाँ एक इंसान योगासन में बैठा, भगवान को याद कर रहा है और घोर तन्मयता के कारण अपने आस पास की हलचल से बेखबर है। कुछ लोग "तपस्या" शब्द से ऐसी कहानियां भी याद करते हैं जो हमें बचपन में सुनाई जाती … Continue reading तपस्या

दिखावा और हम – कब बदलेंगे हम?

लो एक साल और निकल लिया सस्ते में और हमें तो माधुरी भी नहीं मिली रस्ते में..कई लोगों ने सरकार के खिलाफ विरोध में नए साल के जश्नों को एक तरफ कर दिया। काबिल-ए-तारीफ़ है उनका जज्बा और हक़ की लड़ाई। और वहीँ कितने ही लोगों ने हर साल की तरह दारु पी कर हुडदंग … Continue reading दिखावा और हम – कब बदलेंगे हम?